LPG Gas Holder’s Good News: यूपी के किसानों को नहीं खरीदना पड़ेगा LPG सिलेंडर, सरकार ला रही शानदार योजना

LPG Gas Holder’s Good News : घरेलू गैस सिलेंडर के दाम में दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है इससे लोगों को गैस सिलेंडर खरीदने में और उपयोग करने में काफी आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता है हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार यूपी के किसानों के लिए जल्द ही एलपीजी गैस सिलेंडर के संदर्भ में एक नई योजना शुरू करने जा रही है जिससे एलपीजी गैस सिलेंडर खरीदना किसान भूल जाएंगे। उत्तर प्रदेश राज्य सरकार किसानों के लिए एक नई योजना ला रही है इस योजना से रसोई में उपयोग होने वाले एलपीजी गैस सिलेंडर की खपत 70% तक की काम हो जाएगी। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य में “ग्राम ऊर्जा मॉडल” के तहत नई पहल की जा रही है। आईए जानते हैं क्या है पूरी जानकारी ?

ये है सरकार की नई पहल

उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा एलपीजी गैस सिलेंडर की खपत को कम करने किसानों के खेतों और घरों पर बायोगैस यूनिट लगाकर जैविक और प्राकृतिक खाद व रसोई इंधन के उत्पादन की पहल की गई है। यूपी सरकार के द्वारा जारी किए गए एक बयान के मुताबिक कहा गया है कि इस नई योजना की शुरुआत से ग्रामीण क्षेत्र को आत्मनिर्भर और ऊर्जा संपन्न बनाया जाएगा।

घरों में एलपीजी रसोई गैस की खपत 70% तक की होगी कम

उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के विशेष कार्य अधिकारी डॉ अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि गांव में घरेलू बायोगैस इकाइयों की स्थापना से रसोई में इस्तेमाल होने वाले एलपीजी गैस की खपत तकरीबन 70% तक कम आएगी। परिणाम स्वरूप केवल ग्रामीण परिवारों को आर्थिक बचत के साथ साथ पर्यावरण को संरक्षण भी होगा।

गोशालाओं में बायोगैस और जैविक खाद संयंत्रों की स्थापना

  • राज्य सरकार 43 चयनित गोशालाओं में बायोगैस और जैविक खाद संयंत्रों को चालू करने जा रही है।
  • इन संयंत्रों से गैस का उत्पादन होगा और गोबर से तैयार स्लरी से जैविक/प्राकृतिक खाद बनेगी।
  • हर गोशाला से प्रतिमाह 50 क्विंटल स्लरी तैयार होने की संभावना है।
  • आसपास के किसान इस स्लरी का उपयोग कर सकेंगे।

किसानों के घर तक पहुंचेगा सरकार की यह पहल

राज्य सरकार के द्वारा शुरू की गई इस योजना से नाम केवल गोशालाओं तक बायोगैस मॉडल सीमित रहेगी बल्कि किसानों के घर तक इसे पहुंचाया जाएगा। इस मॉडल के तहत जो पायल गैस यूनिट की स्थापना होगी , वह सीधे किसानों के घरों और खेतों के पास की जाएगी। इससे वह खुद के उपयोग के लिए गैस और खाद दोनों का उत्पादन कर सकेंगे , खेती के लागत में कमी के साथ-साथ उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी।

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