यूपी में 5000 स्कूल मर्जर पर कोर्ट का बड़ा फैसला! योगी सरकार को लगा भयंकर झटका UP School Merger Big News

UP School Merger Big News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के 5000 स्कूलों की मर्जर पर अपना बड़ा आदेश यानी कि फैसला दे दिया है। यूपी सरकार ने एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि जिन भी सरकारी स्कूलों में बच्चे बहुत कम है यानी की 50 से कम छात्र है पढ़ रहे हैं उन तमाम स्कूलों को पास के किसी कॉम्पोजिट स्कूल के साथ मर्ज यानी की जोड़ दिया जाए। आपकी जानकारी के लिए बता दें की यह आदेश बेसिक शिक्षा विभाग ने 16 जून 2025 को जारी कर दिया था। विभाग द्वारा इस आदेश के जारी होते ही काफी स्कूलों में हड़कंप मच गया था। उत्तर प्रदेश के लगभग 5000 स्कूलों पर इसका असर पड़ा।

काफी लोग मर्जर का मतलब कुछ और ही समझ रहे है, अब आपको थोड़ा बता दे कि मर्जर का मतलब क्या है सरकार ने ऐसे क्यों फैसला लिया। मर्जर का मतलब यह था कि सरकार चाहती थी कि जितने भी सरकारी स्कूल में 50 से कम छात्र पढ़ाई कर रहे हैं या फिर वह स्कूल जो कि अब बंद करने के कगार पर हैं उनको पास की किसी स्कूल के साथ जोड़ दिया जाए ताकि छात्रों को शिक्षकों को और विभाग हर किसी को फायदा हो सके।

सरकार ने मर्ज करने का फैसला क्यों लिया

अब जानते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसा निर्णय क्यों लिया। आपकी जानकारी के लिए बता दे की सरकार का कहना था कि यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2020 (NCF 2020) के तहत लिया गया है। स्कूल को मर्ज करने का मकसद स्कूल के तमाम संसाधनों को और बेहतर इस्तेमाल करना है। छात्रों को और बेहतर शिक्षा और सुविधा मिल सके इसलिए इस मर्जर प्रक्रिया को लाया गया।

काफी लोग सोच रहे होंगे की कोर्ट तक मामला कैसे पहुंच गया? मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सीतापुर जिले की छात्रा कृष्णा कुमारी सहित और भी 51 बच्चों ने इस आदेश को 1 जुलाई 2025 को हाई कोर्ट में चुनौती दिए। फिर एक दूसरी याचिका 2 जुलाई 2025 को भी दर्ज कराया गया या। याचिकाकर्ताओं का कहना था की सरकार का यह मर्जर करने वाला फैसला शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (Right to Education Act) का उल्लंघन कर रहा है। बच्चों द्वारा लगाई गई याचिका का कहना था कि स्कूल में काफी सारे छोटे छोटे बच्चे हैं उनके लिए दूर के स्कूलों में जाना बड़ी मुश्किल होगी। रास्ते में नदी हाईवे, रेलवे ट्रैक, जैसी बाधाएं हो सकती है जिससे सुरक्षा का खतरा भी रहेगा। इससे पढ़ाई में रुकावट आएगी और शिक्षा में असमानता भी बढ़ेगी।

हाई कोर्ट का आदेश क्या आया है?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 7 जुलाई 2025 को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सरकार के फैसले को सही बताया। कोर्ट ने कहा था कि जब तक नीति असंवैधानिक या दुर्भावनापूर्ण न हो, उसे चुनौती नहीं दी जा सकती। आपको बता दें की अब यह मामला हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (डबल बेंच) में गया। बीते दो दिन तक सुनवाई हुई और कोर्ट ने मर्जर प्रक्रिया पर फिलहाल रोक (स्टे) लगा दी। यानी अब कोई स्कूल मर्ज नहीं होगा जब तक अगली सुनवाई नहीं होती। हाईकोर्ट ने कहा है कि सीतापुर सहित पूरे प्रदेश में मौजूदा स्थिति बनी रहेगी। यानि अभी जैसा है, वैसा ही रहेगा — कोई नया मर्जर नहीं होगा।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस स्कूल मर्जर मामले के ऊपर अगली पेश यानी अगली तारीख दी है जो की 23 अगस्त 2025 तय किया गया है तब तक हाई कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग को मर्जर प्रक्रिया को रोकने का आदेश दिया है।

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